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शुभकामनाएं मित्र माही..

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  अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में अब धौनी-धौनी का शोर सुनाई नहीं देगा लेकिन भारतीय क्रिकेट में आए उल्लास-गर्व के असीमित अवसर याद दिलाते रहेंगे। सबसे सफल कप्तानों में से एक माही का अगला कदम क्या होगा या अगले पल वह क्या फैसला करेंगे? ऐसे किसी भी सवाल का जवाब उनके सालों के साथियों के पास भी नहीं। अपने हर फैसले से चौंकाने में माहिर हैं माही। पंद्रह अगस्त की शाम को भी ऐसा ही हुआ। भारतीय क्रिकेट का यह राजकुमार एक महान क्रिकेटर के साथ अच्छा इंसान भी है। वह शोर नहीं करता। धीर-गंभीर रहकर शांति के साथ अपने काम को अंजाम देता है। क्रिकेट का ‘हेलीकाप्टर’ उड़ाने वाले माही के साथ हर मुलाकात शानदार रही। दिल खोलकर बातें हुईं लेकिन आफ दि रिकार्ड। धौनी जिस भी क्षेत्र में रहेंगे सफलताएं उनके कदमों में होंगी। नई पारी के लिए शुभकामनाएं मित्र माही.....

सचमुच, पापा पास हो गए

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पहाड़ी वादियों की सुंदरता का जादू सिर चढ़कर बोलता है। बच्चों की जिद थी कि इस बार नया साल पहाड़ी वादियों में ही सेलीब्रेट किया जाए। जिद के आगे अपनेराम भी झुक गए। दिल्ली में रहने वाले बचपन के मित्र को तैयार किया और पूरे परिवार के साथ रवाना हो गए पहाड़ी वादियों की ओर। हल्द्वानी से तल्लारामगढ़, नथुआखानद्वारा और फिर वहां से हरतोला। जितना रोमांच पहाड़ी ड्राइव में आया, उससे कहीं अधिक दिल खुश हुआ हरतोला के कॉटेज में। दूर-दूर तक आबादी का नाम-ओ-निशां नहीं। जिस ओर भी नजर दौड़ाओ, बर्फ से लकदक हिमालय के गगनचुंबी पहाड़ ही नजर आते। बच्चे जल्द ही आपस में हिल-मिल गए और देसी-विदेशी खेलों की दुनियां में खो गए। ड्राइव की लंबी थकान के चलते पहली रात कैसे कट गई, पता ही नहीं चला। रात को ही बरसात का सिलसिला शुरु हो गया। सुबह छह बजे बर्फवारी ने दस्तक दे दी। लगातार एक ही गति से बर्फ का गिरना जारी रहा। लगभग चार घंटे में आधा फीट तक बर्फ जमा हो चुकी थी। कॉटेज से जिस ओर भी नजर गई बर्फ की चादर ही नजर आई। सबने जमकर बर्फवारी का आनंद लिया। बच्चों के साथ बड़े भी बच्चे हो गए। बर्फवारी की गति देखकर अंदाज लगाना मुश्किल था

ठगों के खिलाफ हिन्दुस्तान का अभियान अभी जारी है...

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सार्थक पहल हिन्दुस्तान की

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कौन कहता है मीडिया नख-दंतविहीन है। दैनिक हिन्दुस्तान के आगरा संस्करण ने बेईमान और ठग बिल्डरों के खिलाफ जागो आगरा अभियान शुरु किया है। पाठकों से इस सार्थक पहल का जबर्दस्त रिस्पांस मिला है।बिल्डरों ने किसी की जीवनभर की गाढ़ी कमाई लूट ली, तो किसी को अच्छे घर का सपना दिखाकर ठग लिया।  हर कोई दुखी है। ट्रिपल बी (बिल्डर, ब्रोकर और बैंक) का काकस पग-पग पर लोगों को ठग रहा है लेकिन सरकारी मशीनरी गुड़ खाए बैठी है।क्या आप भी हमारा साथ देंगे? 

लो आ गए अमन पर दाग लगाने वाले

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मुल्ला मुलायम को अपने वोट बैंक की चिंता है, इसलिए उन्होंने अयोध्या पर आए फैसले को एक ही झटके में मुस्लिम समुदाय के साथ ठगी करार दे दिया। यह कहने से भी नहीं चूके कि फैसले में आस्था को कानून व साक्ष्यों से ऊपर रखा गया है। अंगुलियों पर गिने जाने लायक कुछ फिरकापरस्त लोगों ने भी उनके सुर में सुर मिलाया है। सुलह और सदभाव के राह में कांटे बोने का काम करने वाले इन लोगों को लगता है देश का अमन रास नहीं आ रहा। आस्था का आधार ही विश्वास है। आस्था और विश्वास एक दिन में पैदा नहीं होता। बरसों-बरस की तपस्या इसके पीछे होती है। यदि रामलला हिन्दुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक हैं, तो इसमें हर्ज ही क्या है। तीस सितम्बर को फैसले के दिन करोड़ों भारतीयों ने जिस संयम और सदभावना का परिचय दिया है, उससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है। आस्था पर सवाल उठाने वाले यह लोग भलीभांति जानते हैं कि समाज में उनकी पहचान भी एक विश्वास पर ही टिकी है। माँ ने बता दिया कि फलां तुम्हारा पिता है, तो आपने मान लिया और पिता का नाम स्वीकार भी कर लिया। जो लोग रामलला की आस्था और विश्वास पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, हो सकता है यही लोग कल अपनी मा

इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा

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सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुले हैं इसकी,वो गुलिस्तां हमारा परबत वो सबसे ऊँचा, ...हमसाया आसमां का वो संतरी हमारा, वो पासबां हमारा गोदी में खेलती हैं, जिसके हज़ारों नदियाँ गुलशन है जिसके दम से, रश्क–ए–जिनां हमारा मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना हिन्दी हैं हम, वतन है, हिन्दोस्तां हमारा हिन्दुस्तान का एक विनम्र प्रयास, अमन की राह पर आओ उड़ाएं अमन के प्रतीक कबूतर  

बाबा रामदेव आप तो ऐसे ना थे...?

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बाबाओं में अपनेराम का कोई विश्वास नहीं है। अपवादस्वरूप एकाध बाबा को छोड़ दिया जाए तो प्रवचन में बड़ी-बड़ी बातें और दावे करने वाले बाबाओं की दुकान उनके साथ चलती है। कोई मंजन-दातून, घी-तेल और खास तरह की दवाइयां बेचता है, तो कोई फोटो-पोस्टर्स, किताबें, कैसेट्स-सीडी की आड़ में धन कमाता है। तीन साल पहले हरिद्वार स्थित बाबा रामदेव के योग साम्राज्य के मुख्यालय पतंजलि योग संस्थान जाने का अवसर मिला। वहां की आबोहवा, सात्विक माहौल देखकर लगा कि और बाबाओं से हटकर हैं बाबा रामदेव। दवाइयां, खानपान सब कुछ किफायती। हर आगंतुक के साथ मेहमान-सा व्यवहार और पूरा आदर-सत्कार। पिछले सप्ताह जाना हुआ तो पतंजलि योग संस्थान का पूरा निजाम ही बदला-बदला नजर आया। गेट पर ही प्रत्येक गाड़ी से एंट्री शुल्क वसूला जाने लगा है। सेहत की दुश्मन जिन चीजों से बचने की सलाह बाबा अपनी योग सभाओं में दिया करते हैं वह सब बाबा के योग अस्पताल में सहज उपलब्ध है। गोलगप्पे, चाट-पकोड़ी के साथ मिठाई आदि का आप भरपूर आनंद ले सकते हैं। पैकिंग मटैरियल की बात करें तो दवाइयों के साथ-साथ मिठाई-नमकीन की भी बिक्री अब होने लगी है। पहले की तुलना में द